Skip to main content

जनसंख्या प्रवास के राजनीतिक कारण

 जनसंख्या प्रवास के राजनीतिक कारण को समझने से पहले लोगों को जनसंख्या प्रवास क्या है इसे समझना महत्वपूर्ण है।


जनसंख्या प्रवास को आमतौर पर मनुष्य का स्थायी या अस्थायी रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर आवागमन को मानते हैं। अक्सर आवागमन लंबी दूरी का ही होता है। यह अपने देश से दूसरे देश तक ही नहीं बल्कि आंतरिक पलायन भी करते हैं क्योंकि ज्यादातर लोग अपने देश में रहना पसंद करते हैं मानव पलायन पूरे विश्व में एक समान है। प्रवास एक व्यक्ति के रूप में , परिवार, विशाल समूह के रूप में हो सकता है।


जनसंख्या या मानव प्रवास के दो प्रमुख रूप है।


घरेलू पलायन या आंतरिक पलायन यानी देश के भीतर के लोगों का एक राज्य से दूसरे राज्य एक जिले से दूसरे जिले में पलायन ।


अंतर्राष्ट्रीय पलायन एक देश से दूसरे देश में चले जाना या बस जाना ।



जनसंख्या  प्रवास के दो कारण है।


पुश फैक्टर

पुल्ल फैक्टर


पुश फैक्टर मानव को अपने देश और विदेश में पलायन के लिए मजबूर करता है। इसका मुख्य कारण बेरोजगारी, अवसर की कमी, उचित शिक्षा की कमी, प्राकृतिक असंतुलन, भेदभाव, प्रदूषण ,राजनीतिक प्रभाव।


पुल्ल फैक्टर भी पुश फैक्टर की तरह मानव को अपने देश तथा विदेश में पलायन के लिए मजबूर करता है परंतु पुल फैक्टर कुछ हद तक पुश फैक्टर से अलग है। क्योंकि इसके प्रमुख कारणों में खुशी, बेहतरीन शिक्षा, बेहतरीन चिकित्सीय देखभाल, सुरक्षा, बेहतरीन जीवन स्तर, अच्छी रोजगार के अवसर।



मैं समझता हूं कि आप लोग अब तक जनसंख्या प्रवास को अच्छी तरह से समझ चुके होंगे अब हम चलते हैं जनसंख्या प्रवास के राजनीतिक कारणों को समझने के लिए इस पहले कि हम जनसंख्या प्रवास की राजनीतिक कारणों को समझें हमें राजनीति को समझना होगा।


राजनीति मे राजनीतिक दल या नेतागण अपनी लाभ के लिए लोगों को आपस में जाति, धर्म, विचारधारा, आदि के मुद्दों पर आपस में लड़ा देते हैं इसका मुख्य कारण है अपनी जीत या अपनी महत्वकांक्षी को पूरा करना।राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए राजनीतिक दल और नेतागण लोगों को जाति और धर्म के आधार पर अपने वोट बैंक के तौर पर देखते हैं ।

मान लीजिए धर्म या जाति A, के  लोग किसी खास  राजनीतिक दल को पसंद करते हैं दूसरी तरफ धर्म या जाति B के लोग किसी खास राजनीतिक दल को पसंद करते हैं। अतः जिस क्षेत्र में धर्म या जाति A के लोग ज्यादा होंगे उस क्षेत्र में इस जुड़े राजनीतिक दल को फायदा मिलेगा इसी प्रकार धर्म या जाति B के लोग जिस क्षेत्र में ज्यादा होंगे उस क्षेत्र में इसे सपोर्ट करने वाली पार्टी को बहुमत मिलेगा इसलिए कुछ राजनीतिक दल कुछ खास समुदाय को उस क्षेत्र में प्राथमिकता देती है जिससे कि उनका वोट बैंक बना रहे।


यह घटना जनसंख्या प्रवास के राजनीतिकरण को प्रदर्शित करता है या दूसरे शब्दों में कहें तो यह जनसंख्या प्रवास के राजनीतिक कारण है।



Comments

Popular posts from this blog

चीन की उइगर मुस्लिम समस्या क्या है

शिनजियांग के उत्तर - पश्चिमी क्षेत्र में चीन पर मानवता के खिलाफ अपराध करने और संभवतः उईघुर आबादी और अन्य ज्यादातर मुस्लिम जातीय समूहों के खिलाफ नरसंहार करने का आरोप लगाया गया ह मानवाधिकार समूहों का मानना ​​​​ है कि चीन ने पिछले कुछ वर्षों में एक लाख से अधिक उइगरों को उनकी इच्छा के विरुद्ध हिरासत में लिया है , जिसे राज्य " पुनः शिक्षा शिविर " कहता है , और सैकड़ों हजारों को जेल की सजा सुनाई है 2022 में बीबीसी द्वारा प्राप्त की गई पुलिस फाइलों की एक श्रृंखला ने चीन द्वारा इन शिविरों के उपयोग का विवरण प्रकट किया है और सशस्त्र अधिकारियों के नियमित उपयोग और भागने की कोशिश करने वालों के लिए शूट - टू - किल पॉलिसी के अस्तित्व का वर्णन किया है। अमेरिका उन कई देशों में शामिल है , जिन्होंने पहले चीन पर शिनजियांग में नरसंहार करने का आरोप लगाया था। प्रमुख मानवाधिकार समूहों एमनेस्टी और ह्यूमन राइट्स वॉच ने चीन पर मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप ल

क्या लगभग 90 साल पहले का इतिहास दोहरा रहा है 2021में।

वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ ने अपनी एक रिपोर्ट में यह कहा है कि अगर दुनिया कोरोना महामारी पर जल्दी नियंत्रण नहीं कर पाती है तो दुनिया के गरीब देश, विकासशील और विकसित देश भयंकर आर्थिक मंदी का शिकार हो जाएगा। क्या पहले भी ऐसा हो चुका है। जी हां आज से 90 साल पहले भी बिल्कुल ऐसा हो चुका है उस समय भी आज की तरह पूरी दुनिया में ऐसा ही महामारी पूरी दुनिया में छाई हुई थी जिसके बाद आया था great depression जिसके कारण लाखों नौकरियां चली गई। Great Depression क्या है 20 वीं सदी का शुरुआती साल दुनिया के लिए काफी मुश्किल भरे 1914 से 1918 के बीच वर्ल्ड वर 1 हुआ इसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली परंतु 1918 में फ्लु महामारी फैल गई । इस बीमारी को स्पेनिश फ्लू के नाम से मशहूर हुए, इस महामारी में करीब 5 करोड़ लोगों की जान ली कहा जाता है फ्लू ने भारत में भी 1.5 करोड़  लोगों की जाली तथा यूरोप के एक तिहाई आदि इस की भेंट चढ़ गई इन दोनों घटनाओं का व्यापक असर हुआ लेकिन 1920 का दशक अमेरिकी लोगों के लिए स्मृद्धि लेकर आया 1920 से 1929 के बीच देश की संपत्ति दुगनी हो गई, पहली बार लोग गांव में कम और

कोरोना असर : क्या दुनिया सिंगल यूज़ प्लास्टिक को बैन करने के लिए आगे बढ़ेगी

कोरोना महामारी के पूर्व सारी दुनिया की सरकारें धीरे-धीरे सिंगल यूज प्लास्टिक बैन की तरफ कदम बढ़ा रही थी, भारत सरकार  भी 2024 तक देश को प्लास्टिक फ्री बनाने की दिशा में कार्य कर रही थी।  देश के कई राज्यों में प्लास्टिक प्रोडक्ट  पर बैन कर दिया गया था ताकि पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम किया जा सके और पर्यावरण की क्षति को रोका जा सके। लेकिन इन सारे प्रयासों पर एक प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है।       कोरोना  प्रकरण में जिस प्रकार प्लास्टिक एक इकलौता प्रोडक्ट  के रूप में सामने आया है, जो लंबे समय तक मानव को संक्रमण जैसी महामारी से बचा सकता है। इस वक्त चिकित्सा कर्मी, सफाई कर्मी, पुलिस इन सभी लोगों को कार्य के दौरान विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक से बने PPE, दास्ताने, जूता कवर, मास्क, के लिए सुरक्षा कवच बना हुआ है, इसी प्रकार साधारण जनता के लिए भी संक्रमण से बचाव के लिए महत्वपूर्ण है।  कोरोना की भयावहता जिस प्रकार से सामने आ रही है, प्लास्टिक और प्लास्टिक से बने सामान लंबे समय तक मानव की सुरक्षा के लिए उपयोगी साबित होंगे। ऐसे में क्या दुनिया पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे बढ