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Showing posts from July, 2021

भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा गद्दार कौन था,ज‍िसके कारण अंग्रेजी हुकूमत ने भारत में जमाया था कब्जा।

कौ न है इतिहास में दर्ज वो गद्दार, ज‍िसके कारण अंग्रेजी हुकूमत ने भारत में जमाया था कब्जा। अंग्रेजों ने भारत में दो सौ सालों तक राज किया. लेकिन अगर एक ऐसा गद्दार हुआ जिसके धोखे की वजह से अंग्रेजी हुकूमत ने पूरे मुल्क को गुलाम रखा. धोखा देने वाले उस शख्स का नाम था मीर जाफर. उसने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को ऐसा धोखा किया कि फिरंग‍ियों को यहां जमने का मौका मिला. मीर जाफर का ये धोखा इतना जगतप्रसिद्ध धोखा साबित हुआ कि पीढ़ियों तक लोग अपने बच्चों का नाम मीर जाफर रखने में कतराते थे. ये नाम गद्दारी और नमकहरामी का प्रतीक बन गया था. आइए जानें- दो जुलाई के इस काले दिन की कहानी... ये घटना है 2 जुलाई 1757 की, जब नवाब सिराजुदौला को एक गद्दार सेनापति की धोखाधड़ी की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी थी. इतिहास में नवाब सिराजुद्दौला को आख‍िरी आजाद नवाब कहा जाता है. नवाब की जान जाते ही भारतीय उपमहाद्वीप में अंग्रेजी शासन की नींव रखी गई. नवाब का पूरा नाम मिर्ज़ा मुहम्मद सिराजुद्दौला था. 1733 में पैदा हुए नवाब की अपनी मौत के वक्त महज 24 साल की उम्र थी. अपनी मौत से साल भर पहले ही अपने नाना की मौत के बाद उन्होंन

अपने बेशकीमती चावल के विपणन के लिए वियतनाम की लड़ाई ।

ST 25 का मामला यह बताता है कि मजबूत बौद्धिक संपदा संरक्षण योजनाओं को विकसित करने के लिए देशों, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए यह कितना महत्वपूर्ण है। दक्षिण पूर्व एशिया में सहस्राब्दियों से चावल मुख्य भोजन रहा है क्योंकि इस क्षेत्र की गर्म, गीली जलवायु धान की फसल उगाने के लिए उपयुक्त है । वियतनाम में, चावल देश की  मूल  खादय पदार्थ है, जिसे सभी प्रकार के भोजन के साथ परोसा जाता है, साथ ही नूडल्स, रैप्स और पकौड़ी में बनाया जाता है। वियतनामी किसानों और उपभोक्ताओं को विशेष रूप से एसटी25 नामक वियतनामी चावल की एक नस्ल पर गर्व है, जिसे कभी-कभी स्थानीय रूप से गाओ ओंग कुआ (श्री कुआ चावल) के रूप में जाना जाता है। 2019 में, ST25 विश्व के सर्वश्रेष्ठ चावल का खिताब जीतने वाली वियतनामी चावल की पहली किस्म थी । तब से, वियतनाम में ST25 एक कारण बन गया है, विशेष रूप से ट्रेडमार्क के लिए एक अंतरराष्ट्रीय लड़ाई के रूप में यह गर्म हो गया है। ST25 चावल का विकास ST25 को 25 साल की अवधि में विकसित किया गया था , 1991 में, एक कृषि इंजीनियर हो क्वांग कुआ द्वारा, जिन्होंने "अपने जीवन का आधा समय शोध, प्रजनन

भारत ने Europe union के द्वारा भारतीय vaccine को मान्यता नहीं देने पर कड़ा कदम उठाया है।

भारत ने यूरोपियन यूनियन के द्वारा भारतीय कोविड-19 वैक्सिंग को मान्यता नहीं देने पर कठोर कदम उठाते हुए कहां है कि अगर यूरोपियन यूनियन भारत द्वारा जारी कोविड-19 वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट और कोविड-19 वैक्सीन को मान्यता नहीं देता है  तो भारत भी यूरोपियन यूनियन के द्वारा जारी ग्रीन पास को मान्यता नहीं देगा और यात्रियों को भारत में कोविड-19 आइसोलेशन गाइडलाइन या क्वारंटीन से गुजरना होगा। Europe   union का vaccine passport प्रोग्राम क्या है ?  क्या आप विदेश जाना चाहते हैं? और क्या आप यूरोप जाना चाहते हैं? आपके लिए ये खबर जानना जरूरी है. यूरोप में नए 'वैक्सीन पासपोर्ट' (vaccine passport) प्रोग्राम से कोई भी व्यक्ति यूनियन में कम प्रतिबंधों के साथ घूम सकता है. इस प्रोग्राम में Oxford-AstraZeneca वैक्सीन को मंजूरी मिली है, लेकिन भारत के वर्जन 'Covishield' को नहीं. इस प्रोग्राम को 'ग्रीन पास' (green pass) के नाम से जाना जाता है और ये 1 जुलाई से लागू हो जाएगा. इसका भारतीय पर्यटकों पर क्या प्रभाव होगा? क्या वो यूरोपियन यूनियन (EU) में एंट्री कर सकते हैं? क्या क्वारंटीन प्रतिबंध ह