Skip to main content

क्या लगभग 90 साल पहले का इतिहास दोहरा रहा है 2021में।

वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ ने अपनी एक रिपोर्ट में यह कहा है कि अगर दुनिया कोरोना महामारी पर जल्दी नियंत्रण नहीं कर पाती है तो दुनिया के गरीब देश, विकासशील और विकसित देश भयंकर आर्थिक मंदी का शिकार हो जाएगा।


क्या पहले भी ऐसा हो चुका है। जी हां आज से 90 साल पहले भी बिल्कुल ऐसा हो चुका है उस समय भी आज की तरह पूरी दुनिया में ऐसा ही महामारी पूरी दुनिया में छाई हुई थी जिसके बाद आया था great depression जिसके कारण लाखों नौकरियां चली गई।

Great Depression क्या है
20 वीं सदी का शुरुआती साल दुनिया के लिए काफी मुश्किल भरे 1914 से 1918 के बीच वर्ल्ड वर 1 हुआ इसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली परंतु 1918 में फ्लु महामारी फैल गई ।
इस बीमारी को स्पेनिश फ्लू के नाम से मशहूर हुए, इस महामारी में करीब 5 करोड़ लोगों की जान ली कहा जाता है फ्लू ने भारत में भी 1.5 करोड़  लोगों की जाली तथा यूरोप के एक तिहाई आदि इस की भेंट चढ़ गई इन दोनों घटनाओं का व्यापक असर हुआ

लेकिन 1920 का दशक अमेरिकी लोगों के लिए स्मृद्धि लेकर आया 1920 से 1929 के बीच देश की संपत्ति दुगनी हो गई, पहली बार लोग गांव में कम और शहरों में ज्यादा रहने लगे, पूंजीवाद का उत्थान हुआ, देशभर में चैन स्टोर खुला, लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ रही थी, लोगों का जीने का तरीका बदल रहा था, चाहे वह कपड़ा हो किचन का सामान हो या मोटर कार, पर इतना खरीदने के लिए लोगों के पास पैसे कहां से आ रहे थे।

दरअसल अमेरिकी बैंक ने लोगों को लोन देना शुरू कर दिया था ,लोगों के लिए यह एक करिश्मा से कम नहीं था। एक दूसरा करिश्मा था स्टॉक मार्केट में पैसा लगाओ इंतजार करो और ज्यादा पैसा पाओ देश के सारे लोग चाहे वह नौकरी पेशा हो या सफाई कर्मचारी सभी स्टॉक मार्केट में पैसा लगाने लगे।


अगस्त 29 में शेयर मार्केट बढ़ता चला गया और शिखर पर पहुंच गया, इस खुशहाली के बाद आया मंदी का दौर अगस्त 1929 तक बैंकों पर कर्ज इतना बढ़ गया कि उनसे चुकाना मुश्किल होने लगा बैंक कंगाल हो गए। अब लोगों की खरीदने की क्षमता घट गई, बाजारों में सामान नहीं बिक रहा था, उत्पादन घटने लगा, बेरोजगारी बढ़ने लगी, महंगाई बढ़ने लगने लगी अक्टूबर में लोगों ने घबराहट में शेयर बेचना शुरू कर दिया, जिसके कारण शेयर मार्केट क्रॉस कर गया।
हाल ये  हो गया था कि जिनके पास रोजगार था उनका वेतन आधा हो गया, किसान बेहाल हो गए, हजारों बैंक बंद हो गए, भुखमरी और बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई।

ऐसे माहौल में पूरी दुनिया में दक्षिणपंथी विचारधारा का विस्तार हुआ जिसका नतीजा वर्ल्ड वार 2 के रूप में सामने आया था।
इसी तरह की परिस्थिति वर्तमान समय में कोरोना  महामारी के कारण पूरे विश्व में छाई हुई है जिसके कारण तृतीय विश्व युद्ध होने की संभावना प्रबल होती जा रही है इसका मुख्य कारण विभिन्न देशों के बीच बनते युद्ध जैसे माहौल है।

This article video u can also watch it.


Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

चीन की उइगर मुस्लिम समस्या क्या है

शिनजियांग के उत्तर - पश्चिमी क्षेत्र में चीन पर मानवता के खिलाफ अपराध करने और संभवतः उईघुर आबादी और अन्य ज्यादातर मुस्लिम जातीय समूहों के खिलाफ नरसंहार करने का आरोप लगाया गया ह मानवाधिकार समूहों का मानना ​​​​ है कि चीन ने पिछले कुछ वर्षों में एक लाख से अधिक उइगरों को उनकी इच्छा के विरुद्ध हिरासत में लिया है , जिसे राज्य " पुनः शिक्षा शिविर " कहता है , और सैकड़ों हजारों को जेल की सजा सुनाई है 2022 में बीबीसी द्वारा प्राप्त की गई पुलिस फाइलों की एक श्रृंखला ने चीन द्वारा इन शिविरों के उपयोग का विवरण प्रकट किया है और सशस्त्र अधिकारियों के नियमित उपयोग और भागने की कोशिश करने वालों के लिए शूट - टू - किल पॉलिसी के अस्तित्व का वर्णन किया है। अमेरिका उन कई देशों में शामिल है , जिन्होंने पहले चीन पर शिनजियांग में नरसंहार करने का आरोप लगाया था। प्रमुख मानवाधिकार समूहों एमनेस्टी और ह्यूमन राइट्स वॉच ने चीन पर मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप ल

क्या भारत में लोकतंत्र खतरे में है?

    भारत   में   लोकतंत्र   की   स्थिति   के   बारे   में   बहस   और   चर्चाएँ   चल   रही   हैं।   कुछ   व्यक्तियों   और   संगठनों   ने   कुछ   घटनाओं   के   बारे   में   चिंता   जताई   है   जिन्हें   वे   लोकतांत्रिक   मूल्यों   और   संस्थानों   के   लिए   संभावित   खतरों   के   रूप   में   देखते   हैं। आलोचकों   ने   अभिव्यक्ति   की   स्वतंत्रता   पर   प्रतिबंध , प्रेस   की   स्वतंत्रता   को   चुनौती , निगरानी   के   आरोप , न्यायपालिका   की   स्वतंत्रता   पर   चिंता   और   राजनीतिक   ध्रुवीकरण   की   संभावना   जैसे   मुद्दों   की   ओर   इशारा   किया   है।   इसके   अतिरिक्त , सामाजिक   अशांति , हिंसा   और   अभद्र   भाषा   की   घटनाओं   ने   भी   देश   में   लोकतंत्र   के   स्वास्थ्य   के   बारे   में   चिंता   जताई   है। हालांकि , यह   ध्यान   रखना   महत्वपूर्ण   है   कि   भारत   एक   मजबूत   संस्थागत   ढांचे   और   नियंत्रण   और   संतुलन   की   एक   मजबूत   प्रणाली   के   साथ   एक   जीवंत   लोकतंत्र   है।   इसमें   लोकतांत्रिक   परंपराओं , एक   स्वतंत्र   और   सक्रिय   मीडिया   और  

कोरोना असर : क्या दुनिया सिंगल यूज़ प्लास्टिक को बैन करने के लिए आगे बढ़ेगी

कोरोना महामारी के पूर्व सारी दुनिया की सरकारें धीरे-धीरे सिंगल यूज प्लास्टिक बैन की तरफ कदम बढ़ा रही थी, भारत सरकार  भी 2024 तक देश को प्लास्टिक फ्री बनाने की दिशा में कार्य कर रही थी।  देश के कई राज्यों में प्लास्टिक प्रोडक्ट  पर बैन कर दिया गया था ताकि पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम किया जा सके और पर्यावरण की क्षति को रोका जा सके। लेकिन इन सारे प्रयासों पर एक प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है।       कोरोना  प्रकरण में जिस प्रकार प्लास्टिक एक इकलौता प्रोडक्ट  के रूप में सामने आया है, जो लंबे समय तक मानव को संक्रमण जैसी महामारी से बचा सकता है। इस वक्त चिकित्सा कर्मी, सफाई कर्मी, पुलिस इन सभी लोगों को कार्य के दौरान विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक से बने PPE, दास्ताने, जूता कवर, मास्क, के लिए सुरक्षा कवच बना हुआ है, इसी प्रकार साधारण जनता के लिए भी संक्रमण से बचाव के लिए महत्वपूर्ण है।  कोरोना की भयावहता जिस प्रकार से सामने आ रही है, प्लास्टिक और प्लास्टिक से बने सामान लंबे समय तक मानव की सुरक्षा के लिए उपयोगी साबित होंगे। ऐसे में क्या दुनिया पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे बढ