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South China sea विवाद क्या है ?


दक्षिणी चीन सागर



यह दक्षिण-पूर्व एशिया में पश्चिमी प्रशांत महासागर का भाग है यह चीन के दक्षिणी भाग में वियतनाम के दक्षिणी भाग एवं पूर्वी भाग में फिलीपींस के पश्चिमी भाग में और बोनियो दीप समूह  के उत्तर में स्थित है।

 दक्षिणी चीन सागर के सीमावर्ती देश  चीन, ताईवान, फिलीपींस ,मलेशिया ,ब्रूनेई, इंडोनेशिया सिंगापुर और वियतनाम हैं।

दक्षिणी चीन सागर महत्वपूर्ण क्यों है?

अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण चीन सागर सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसके प्रमुख कारण है।
*यह मलक्का जलसंधि द्वारा हिंद एवं प्रशांत महासागर को जोड़ता है
*वैश्विक नौ परिवहन व्यापार का एक तिहाई हिस्सा इसी मार्ग से होता है।
*यह क्षेत्र तेल एवं गैस का अपार भंडार समेटे हुए है।
*यहां दक्षिण पूर्व एशिया के देशों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने हेतु अपार मत्स्य संसाधन उपलब्ध कराता है।

अंतरराष्ट्रीय कानून क्या कहता है।(United nation convention on the law of the sea)


अंदरूनी जल तट पर स्थित बेसिन, नदी का मुहाना इत्यादि यह देश का संपत्ति होगी, उस पर कोई विदेशी नौका नहीं जा सकता है।

क्षेत्रीय जल किसी देश के तट से 12 नॉटिकल माइल तक उस देश का क्षेत्र माना जाता है। इस क्षेत्र पर उस देश का कानून होगा परंतु विदेशी नौका उस क्षेत्र से आ जा सकते हैं, उस देश के हितों को नुकसान पहुंचाए बिना।

निकटवर्ती क्षेत्र तट से 24 समुंद्री मील तक के क्षेत्र पर संबंधित देश को अधिकार है कि चार प्रकार के कानून लागू कर सकता है प्रदूषण टैक्स सीमा शुल्क एवं अप्रवासन ।

अनारक्षित आर्थिक क्षेत्र (SER) समुद्र तट से 200 नॉटिकल माइल तक के क्षेत्र में उपलब्ध संसाधनों पर उस देश का अधिकार होता है दूसरे देश से के विमान नौका  इस क्षेत्र से मुक्त रूप से आ जा सकता है एवं दूसरे देश संचार के तार समुंद्र तल में लगा सकते हैं ।

 विवाद क्या है?

दक्षिणी चीन सागर के विवाद का मुख्य कारण है

*दक्षिणी चीन सागर के 90% हिस्सा को चीन द्वारा अपना बताना।

*चीन तर्क देता है साउथ चाइना सी में चीन शब्द इस्तेमाल होता है इसलिए साउथ चाइना सी उसका है।
         चीन का यह तर्क बेतुका है इस हिसाब से मैक्सिको की खाड़ी मेक्सिको का और हिंद महासागर भारत का होना चाहिए।

*चीन साउथ चाइना सी जो दावा करता है उसका आधार है Nine Dash line एक काल्पनिक मैप बेस्ट रेखा है जिसे चीन ने 1947 के नक्शे में शामिल किया।इसके आधार पर चीन पूरे साउथ चाइना सी पर दावा करता है।

*साउथ चाइना सी पर तटीय देश मलेशिया , ताईवान, फिलीपींस वियतनाम और बुनेई भी हक जता हैं ।

*यूनाइटेड स्टेट कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी के अनुसार उसका हक है बी पर चीन इस पर साइन करने के बाद भी नहीं मानता है।

*फिलीपींस इस विवाद को international court of arbitration मे ले गया जहां चीन की हार हुई और फैसला फिलीपींस के पक्ष में गया।

*चीन साउथ चाइना सी में मानव निर्मित दीपों का निर्माण कर रहा है और दीपों पर सैन्य अड्डा हवाई पट्टी विकसित कर रहा है और इस क्षेत्र में मौजूद कई देशों के दीपो जो प्राकृतिक संसाधन मसलन तेल एवं गैस से भरपूर है उस पर कब्जा करता जा रहा है।

साउथ चाइना सी विवाद का भारत पर असर/प्रभाव

भारत का 50 से  55% व्यापार साउथ चाइना सी के रास्ते होता है, अगर साउथ चाइना सी पर चीन कब्जा कर लेता है तो भविष्य में भारत के इस मार्ग से होने वाले व्यापार को बुरी तरह प्रभावित कर सक करेगा यह कर सकता है।
  दूसरा भारत एवं वियतनाम के बीच तेल एवं गैस खोजने की योजना जो दक्षिणी चीन सागर में चल रही है उस पर खतरा मंडराने लगना।
    

 साउथ चाइना सी विभाग से भारत को रणनीतिक फायदा 

*साउथ चाइना सी विवाद में सभी तटवर्ती देशों से चीन के संबंध खराब कर दिए हैं, यह विवाद भारत को पूर्वी एशियाई देशों से रिश्ते सुधारने का महत्व पूर्ण मौका प्रदान किया है।

 *     भारत इस क्षेत्र के देशों जैसे वियतनाम, फिलीपींस और मलेशिया इत्यादि देशों के साथ सैन्य साधु सामान का व्यापार करना, पूर्वी एशियाई देशों के लिए एक महत्वपूर्ण सैन्य साझेदार के तौर पर उभर सकता है।

*भारत अमेरिका के साथ मिलकर इस क्षेत्र के क्षमताओं का विस्तार कर अमेरिका का महत्वपूर्ण भागीदार बनकर उभर सकता है।

*पूर्वी एशियाई देशों एवं अमेरिका के साथ मिलकर एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोक सकता है।

*इंटरनेशनल कोर्ट के फैसला को नहीं मानकर चीन अकेला पड़ गया है ऐसे में भारत के एनएसजी की सदस्यता की रास्ते में चीन रोड़ा अटका ने में कमजोर पड़ेगा।

*भारत के लुक ईस्ट पॉलिसी को काफी बल मिलेगा जिसके तहत भारत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ सैन्य एवं आर्थिक सहयोग बढ़ाना चाहता है।

PM पीएम मोदी ने चीन को साउथ चाइना सी में घेरने के लिए

*हाल ही में भारत ऑस्ट्रेलिया के बीच म्यूच्यूअल लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुआ है।

*  इस संधि के बाद दोनों देश एक दूसरे के मिलिट्री बेस को कई जरूरी सेवाओं के लिए प्रयोग कर सकेगा।

 * इससे भारतीय सेना की उपस्थिति दक्षिणी चीन सागर में बढ़ेगी 9 जून 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने फिलीपींस के राष्ट्रपति से बातचीत किया और ट्वीट कर कहा कि भारत और फिलीपींस क्रोना महामारी के दौर में स्वास्थ्य संबंधी एवं आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए हिंद प्रशांत क्षेत्र में हमारे साझा दृष्टिकोण को आकार देने के लिए मिलकर काम करेंगे।  

यदि देखा जाए तो मोदी सरकार साउथ चाइना सी मिशन पर लग चुकी है।

*इस क्षेत्र में फिलीपींस एक मजबूत और चीन विरोधी देश है। ऐसे में साउथ चाइना सी में भारत की उपस्थिति और मजबूत होगा अगर भारत फिलीपींस संबंध मजबूत होता है तो।

*भारत जापान अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का एलाइंस मोदी के इसी रणनीति का एक हिस्सा है।

*भारत-ऑस्ट्रेलिया सैन्य समझौते के तरह का समझौता जापान के साथ भी भारत करने जा रहा है अगर यह समझौता होता है तो भारत साउथ चाइना सी में चीन को घेरने में सफल हो जाएगा। ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत वियतनाम में पहले से उपस्थित है।

चीन string of pearls नीति के तहत हिंद महासागर में श्रीलंका, मालदीप ,अफ्रीका के जिबुति बंदरगाह, बांग्लादेश और पाकिस्तान में बंदर का लीज पर हासिल कर लिया है।
 चीन इन देशों को आर्थिक और सैन्य मदद देखकर इन देशों में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है।
 इसमें से कई बंदरगाह पर अपना सैन्य अड्डा भी स्थापित कर लिया है।


साउथ चाइना सी में भारत की मजबूत उपस्थिति निश्चित तौर पर चीन को हिंद महासागर में रोकने में एक हथियार साबित होगा। सैन्य और कूटनीतिक दोनों अवसर पर।

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