ताइवान: राष्ट्रपति साई इंग-वेन का चीन को साफ संदेश, बोलीं- विलय पर नहीं होगी वार्ता
ताइवान: राष्ट्रपति साई इंग-वेन
चीन के साथ तनाव के बीच ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ समानता के आधार पर बातचीत की पेशकश करते हुए स्पष्ट किया, लोकतांत्रिक ताइवान किसी भी सूरत में चीनी नियम-कायदे स्वीकार नहीं करेगा और चीन को इस सच्चाई के साथ शांति से जीने का तरीका खोजना होगा।
ताइवान की 63 वर्षीय राष्ट्रपति ने ताइपेई में बुधवार को परेड के साथ दोबारा पद संभालते हुए कहा, वह चीन के साथ बातचीत कर सकती हैं, लेकिन एक देश-दो सिस्टम के मुद्दे पर नहीं। चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने रिकार्ड रेटिंग के साथ अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की है। इस दौरान उन्होंने चीनी राष्ट्रपति के साथ सह-अस्तित्व के आधार पर बातचीत की पेशकश की है।
साई के पहले कार्यकाल के दौरान चीन ने ताइवान से सभी प्रकार के रिश्तों को खत्म कर दिया था। क्योंकि चीन हमेशा से ताइवान को अपना अभिन्न हिस्सा मानता है जबकि ताइवान खुद को एक अलग देश बताता है। साई इंग-वेन ने बुधवार को कहा, वे चीन के संप्रभुता के दावे को दृढ़ता से खारिज करती हैं और संभवत: चीन रिश्तों को बिगाड़ने के लिए मंच बना रहा है।
साई इंग वेन ताइवान की पहली महिला राष्ट्रपति हैं।
अपने दूसरे और अंतिम कार्यकाल के लिए शपथ लेने के बाद, एक भाषण में, साई ने कहा कि ताइवान-चीन के बीच संबंध एक ऐतिहासिक मोड़ पर पहुंच चुके हैं। चीन ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि पुनर्मूल्यांकन अपरिहार्य था और वह ताइवान की स्वतंत्रता को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।
एकीकरण का विरोध, लेकिन विकास पर जोर
साई ने चीन और ताइवान के बीच संबंधों में शांति, समानता, लोकतंत्र और बातचीत का आह्वान किया। उन्होंने हांगकांग की तरह एक देश, दो प्रणालियों के तहत चीन के साथ एकीकरण के लिए अपना विरोध भी दोहराया। उन्होंने देश में 5-जी, जैव-प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, रक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा सहित मुख्य उद्योगों के निर्माण का भी वादा किया। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि चीन का नेतृत्व जिम्मेदारी लेगा और साथ मिलकर दोनों देशों के संबंधों के दीर्घकालिक विकास को बढ़ाने के लिए काम करेगा।
इसलिए है चीन और ताइवान में तनातनी
1949 में माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी ने शियांग काई शेक के नेतृत्व वाले कॉमिंगतांग सरकार का तख्तापलट कर दिया था। जिसके बाद शियांग काई शेक ने ताइवान द्वीप में जाकर अपनी सरकार का गठन किया। उस समय कम्युनिस्ट पार्टी के पास मजबूत नौसेना नहीं थी। इसलिए उन्होंने समुद्र पार कर इस द्वीप पर अधिकार नहीं किया। तब से ताइवान खुद को रिपब्लिक ऑफ चाइना मानता है। लेकिन चीन इस द्वीप को अपना अभिन्न अंग मानता है।
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