Skip to main content

मज़दूरों की घर वापसी : सरकारों की तैयारी


भारत में अब तक लगभग 135 ट्रेनों से एक लाख से ज्यादा लोगों घर लौट चुके हैं और यह सिलसिला अभी सिर्फ शुरू हुआ है।
   देश के बड़े मज़दूरों वाला राज्य यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड इत्यादि राज्यों की मज़दूरों की संख्या की बात करें तो किसी भी राज्य में लौटने वाले मज़दूरों की संख्या 10 लाख से कम नहीं होगी , किसी-किसी राज्य में यह संख्या 20 से 30 लाख तक भी होगी।


 विभिन्न राज्य सरकारों ने प्रारंभ में जन भावनाओं के दबाव में आकर राज्य के बाहर काम कर रहे मज़दूरों को वापस बुलाने का निर्णय तो ले लिया ,परंतु इस निर्णय के साथ जुड़ी समस्याओं के तरफ किसी राज्य सरकार का ध्यान नहीं गया।
इस वक्त जबकि राज्यों में 5 से 10 हजार लोग ही वापस आए हैं, राज्य सरकारों की बेचैनी बढ़ने लगी है क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को लाना, लोगों को 15 या 21 दिन तक क्वॉरेंटाइन रखना, क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाना, सभी राज्यों को परेशानी  में डालने लगा है।
 ऐसे में राज्य सरकारों की सुर बदलने लगे है, महाराष्ट्र सरकार द्वारा मंजूरी देने के बाद भी पश्चिम बंगाल सरकार ने मज़दूरों की वापसी से कदम पीछे खींच लिया है कुछ इस प्रकार बिहार सरकार में भी दिखाई दे रहा है जो अब सिर्फ ज़रूरतमंद लोगों को वापस लाने की बात कर रही है राज्य सरकारों का बदलता निर्णय यह बता रहा है कि उनकी तैयारी पूरी नहीं है अधिकारियों एवं नेताओं को शक है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को ला के 15 या 21 दिन तक तीमारदारी करना संभव नहीं है ।
 इस महामारी से निपटने पर यूं ही राज्य सरकारों की पॉकेट ढीली हो रहा है , दूसरा राज्य सरकार के पास बहुत अच्छा मेडिकल संरचना भी नहीं है, जो राज्य सरकारों के निर्णय को बदलने को मजबूर कर रहा है ।
इसके अलावा जो राज्य  सरकारों को डरा रहा है कि अगर घर घर आए  मज़दूर कोरोना वाहक निकले तो महामारी को गांव-गांव में फैलने से रोकना मुश्किल हो जाएगा।

Comments

Popular posts from this blog

नया जीएसटी शुल्क: भारत की नई कर व्यवस्था

  नया जीएसटी शुल्क: भारत की नई कर व्यवस्था भारत में नया जीएसटी (जीएसटी) शुल्क का उदय होने के बाद, व्यापार और व्यावसायिक संस्थानों के लिए एक नई कर व्यवस्था का परिचय मिल रहा है। जीएसटी एक एकल वास्तविक कर व्यवस्था है जो राज्य कर और संघ कर को एकीकृत करती है। इसका मुख्य उद्देश्य व्यापार को सरल और अधिक व्यवसायकारी बनाना है। जीएसटी के फायदे: सरलीकरण: जीएसटी ने अनेक राज्य करों को एकीकृत कर दिया है, जिससे व्यापार को सरल और अधिक व्यवसायकारी बनाया गया है। व्यापार की वृद्धि: जीएसटी ने व्यापार को आकर्षित किया है और नई नीतियों के कारण व्यापार की गति बढ़ी है। कर राजस्व: जीएसटी ने कर राजस्व को बढ़ाने में भी योगदान दिया है। जीएसटी के चुनौतियां: जटिलता: जीएसटी के नियम और विनियमन के कारण कुछ व्यापारियों को जटिलता का सामना करना पड़ा है। आर्थिक अस्थिरता: जीएसटी के लिए नई नीतियां और अनुभागों का अनुसन्धान करना आर्थिक अस्थिरता का कारण बन सकता है। जीएसटी भारत के व्यापार और अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसके साथ-साथ चुनौतियां भी हैं, जिन्हें समय के साथ सुलझाया जा रहा है।

Selective politics in India

   चयनात्मक प्रदर्शन मनोविज्ञान के अंदर एक सिद्धांत है,जिसे अक्सर मीडिया और संचार अनुसंधान में प्रयोग किया जाता है।     यह ऐसे लोगों की प्रवृत्ति को प्रदर्शित करता है। जो विरोधाभासी जानकारी से बचते हुए, अपने पहले से मौजूद विचारों को व्यक्त करते है।     अगर भारत के संदर्भ में बात करें,तो भारत में लगभग हर राजनीतिक दल कहीं ना कहीं सिलेक्टिव पॉलिटिक्स का सहारा लेती है। चाहे वह कांग्रेस पार्टी हो या वाम दल हो या फिर भाजपा हो, लेकिन इन सभी दलों के सिलेक्टिव पॉलिटिक्स से थोड़ा अलग सिलेक्टिव पॉलिटिक्स सिस्टम भाजपा का है, जहां आकर सभी दूसरे राजनीतिक दल सियासी मात खा जाते हैं।  भारतीय राजनीति में सिलेक्टिव पॉलिटिक्स शब्द को एक गर्म राजनीतिक बहस के केंद्र में लाने का श्रेय भी भाजपा को जाता है।  विगत कुछ वर्षों में  जब से भाजपा सत्ता में आई है, कई अहम राजनीतिक फैसलों के समय यह बहस के केंद्र में आ जाता है।  कश्मीर से धारा 370 हटाने के क्रम में कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला को नज़रबंद किया गया तो क...

क्या पीएम मोदी तानाशाह हैं ?

  पिछले कुछ समय से भारतीय राजनीतिक दल, नेता, पत्रकार और कुछ राजनीतिक विश्लेषक एक वाक्य गढ़ रहे हैं " पीएम मोदी तानाशाह हैं" प्रधानमंत्री   नरेंद्र   मोदी   तानाशाह   हैं   या   नहीं , यह   विचार   का   विषय   है।   बड़ी संख्या में लोग ऐसा सोचते है   कि   वह   एक   मजबूत   नेता   हैं   जो   भारत   के   सर्वोत्तम   हित   में   कठोर   निर्णय   ले   रहे   हैं , जबकि   अन्य   लोगों   का   मानना   ​​ है   कि   वह   तेजी   से   सत्तावादी   होते   जा   रहे   हैं   और   असहमति   को   दबा   रहे   हैं। मेरी   राय   में   पीएम   मोदी   एक   तानाशाह   हैं   यह   उनके   लिए   इस्तेमाल   किया   जाने   वाला   सही   शब्द   नहीं   है   क्योंकि   तानाशाह   शब्द ...