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कोरोना असर : क्या दुनिया सिंगल यूज़ प्लास्टिक को बैन करने के लिए आगे बढ़ेगी

Single use plastic banned in India, single use plastic banned in world
कोरोना महामारी के पूर्व सारी दुनिया की सरकारें धीरे-धीरे सिंगल यूज प्लास्टिक बैन की तरफ कदम बढ़ा रही थी, भारत सरकार  भी 2024 तक देश को प्लास्टिक फ्री बनाने की दिशा में कार्य कर रही थी।
 देश के कई राज्यों में प्लास्टिक प्रोडक्ट  पर बैन कर दिया गया था ताकि पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम किया जा सके और पर्यावरण की क्षति को रोका जा सके। लेकिन इन सारे प्रयासों पर एक प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है।
      कोरोना  प्रकरण में जिस प्रकार प्लास्टिक एक इकलौता प्रोडक्ट  के रूप में सामने आया है, जो लंबे समय तक मानव को संक्रमण जैसी महामारी से बचा सकता है। इस वक्त चिकित्सा कर्मी, सफाई कर्मी, पुलिस इन सभी लोगों को कार्य के दौरान विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक से बने PPE, दास्ताने, जूता कवर, मास्क, के लिए सुरक्षा कवच बना हुआ है, इसी प्रकार साधारण जनता के लिए भी संक्रमण से बचाव के लिए महत्वपूर्ण है।
 कोरोना की भयावहता जिस प्रकार से सामने आ रही है, प्लास्टिक और प्लास्टिक से बने सामान लंबे समय तक मानव की सुरक्षा के लिए उपयोगी साबित होंगे। ऐसे में क्या दुनिया पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे बढ़कर सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करेगी अगर दुनिया की सरकारें इस दिशा मैं आगे बढ़ती है तो मानव की  सुरक्षा खतरे में पड़ती है क्योंकि इस वक्त इसका कोई विकल्प भी दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता है।
   कोरोना महामारी और इसके बाद के समय में पूरी दुनिया में प्लास्टिक के विभिन्न उत्पादों की मांग कई गुना बढ़ेगी,इस वक्त दुनिया में हर साल लगभग 150 लाख टन प्लास्टिक उत्पाद बनते हैं। वैसे तो प्लास्टिक उत्पादों का प्रयोग कार उद्योग, चिकित्सा उपकरण ,औद्योगिक उत्पाद की पैकिंग, फूड प्रोडक्ट पैकिंग में वर्षों से होता आ रहा है, लेकिन नई परिस्थिति में इसका प्रयोग चिकित्सा क्षेत्र, खाद्य पदार्थ एवं डे टुडे लाइफ में कई गुना बढ़ जाएगा क्योंकि संक्रमण फ्री उत्पाद की मांग बढ़ेगी।

डे टुडे लाइफ में छोटे-छोटे फूड चैन, होटल, इत्यादि जगहों पर सिंगल यूज़ प्रोडक्ट की मांग बढ़ेगी। जाहिर है, मांग बढ़ेगी तो सरकार पर दबाव बढ़ेगा की अपना रुख इस पर नरम करें, उत्पादक  पर दबाव बनेगा की वह इसका उत्पादन बढ़ाए और इस को गति प्रदान करेगा, इस उद्योग को क्रूड ऑयल के जरिए ही कच्चा माल प्राप्त होता है। आज के समय में क्रूड ऑयल का दाम जमीन को छू रहा है।
      कुल मिलाकर कोरोना महामारी के दौरान पर्यावरण को जितना राहत मिली थी ,उससे कई गुना दवा में जाने वाली है। पर्यावरण पर पड़ने वाले इस दबाव को नियंत्रित करने के लिए सिंगल यूज्ड प्लास्टिक प्रोडक्ट की रीसाइक्लिंग को 100% सक्सेसफुल सिस्टम के तौर पर विकसित करने की जरूरत पड़ेगी, और यह इस वक्त तक विकसित नहीं हुई है, अब देखना यह है कि दुनिया मानवता को बचाने के लिए पर्यावरण को नुकसान होने देती है या फिर इसे बचाने के लिए भी उसी शिद्दत से आगे आती है।


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